लेखनी प्रतियोगिता -12-Feb-2024
#दिनांक:-12/2/2024
#शीर्षक:-'दहेज़ अभिशाप'
माँ की कोख से होता जन्म,
बुआ के द्वारा मिलता नाम,
बापू के नाम से पहचान,
भाई से मिलता मान,
लंगोट यार के संगत से,
अच्छा बुरा परिणाम,
परिवार से संस्कार,
दोस्तों सहेलियों से असीम प्यार,
हँसता खेलता बचपना,
कब चढ़ गया यौवना,
शुरू शादी की खोज,
बाहर निकलने में रोक टोंक,
खोजते-खोजते,
मिल गया अच्छा वर,
पर चाहिए महंगी कार,
हर एक सामान की मांग,
तभी भरेगी मांग,
सोचकर बेटी का सुन्दर भविष्य,
बेच दिया बाप ने अपना भविष्य,
खुशी से हुई सम्पन्न शादी,
सब रस्में रुढिवादी,
चली गयी बेटी ससुराल,
कुछ ही दिनों में भूख से बेहाल,
मार पीट और पैसे का बढ़ता लालच,
फैला दिया माँ ने अपना भी आचॅल,
अफसोस,
दहेज़ लोभियों का दिल न पसीजा,
पल-पल नोंच खा रहे बेटी को कतरा-कतरा,
हाय! मेरी बेटी तुमने ऐसा क्यूँ किया.....,
सपने में आकर बेटी ने कहा-
प्यारी माँ बाबूजी सुनो,
अब आप कभी न जलिल होना,
इसलिए मैने,
अपनी इहलीला खत्म कर लिया |
रचना मौलिक, स्वरचित और सर्वाधिकार सुरक्षित है।
प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई
Mohammed urooj khan
13-Feb-2024 12:57 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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Khushbu
13-Feb-2024 07:02 AM
Nice one
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नंदिता राय
12-Feb-2024 06:35 PM
Nice
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